Sunday 3 July 2016

सोशल मीडिया पर आतंकवाद

समाचार पत्रों पर निगाह दौड़ाते हुए पाया की किस तरह ब्लॉगरों और लेखकों की हत्या की जा रही रही है ! बांग्लादेश में अब तक चार ब्लॉगरों की हत्या की जा चुकी है ! हमारे फेसबुक मित्र संजय चौहान को जान से मारने की धमकियाँ मिल रही हैं !
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ये एक विकट होती समस्या है ! सोशल मिडिया पर लिखने वाले वाले अब सुरक्षित नहीं हैं ! अनेक कुत्सित और कलुषित विचारों वाले खूंखार प्रकृति के लोग सोशल मिडिया पर सक्रीय हैं ! इनमें से कुछ सरकार के गुंडे हैं, तो कुछ अन्य पार्टियों के ! कुछ धर्म विशेष के गुंडे हैं तो कोई दलित समूह के ! कोई यादव समाज का, कोई जाट समाज का, कोई ब्राम्हण तो कोई कायस्थ समाज का !अलग अलग वर्ग, जाती , धर्म और संगठनों के ठेकेदार सोशल मिडिया पर गुंडागर्दी की जड़ें जमायें बैठे हैं ! चूँकि समाज इतने छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटा हुआ है और कोई भी किसी दुसरे का वर्चस्व नहीं चाहता !
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सहअस्तित्व में कोई जीना ही नहीं चाहता ! हर वर्ग यही चाहता है की सिर्फ उसके समर्थन में ही लिखा जाये , किसी अन्य समुदाय अथवा दल को समर्थन न दिया जाए ! आलोचना सिर्फ विरोधी दलों की जाए , उनके द्वारा समर्थित दलों की आलोचना तक न हो ! कितनी कुत्सित और तुच्छ सोच बढ़ रही है समाज में जो सोशल मिडिया के माध्यम से उजागर हो रही है !
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सोशल मिडिया पर एक से बढ़कर एक गुंडे बैठे हैं जो शराफत का चोगा ओढ़े हुए हैं ! पूरे पूरे गिरोह के साथ बैठकर दलगत राजनीति करते हैं ये लोग ! समूह में आकर उत्पीड़ित करते हैं लेखकों को ! पता नहीं इन प्रायोजित लोगों को पैसा किन संगठनों के ज़रिये से आता है लेकिन ये लोग सामान्य जनता के बीच सफेदपोश बने बैठे हैं और वाचिक आतंकवाद से शुरू करके , खुनी आतंकवाद से सोशल-मीडिया को रक्त-रंजीत कर रहे हैं !
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एक नए तरह के आतंकवाद की और बढ़ती अत्यंत खेदजनक और भयावह प्रगति जहाँ लोग एक दुसरे के खून के प्यासे हो रहे हैं ! विरोधी विचारों को पचा नहीं पा रहे ! अहम इतना बड़ा ! धैर्य एकदम नगण्य ! बात-बात पर तिलमिलाना और लेखक के खून का प्यासा हो जाना ! कहाँ जा रहा है ये समाज ? कितना पतन देखना बाकी है अभी?

By - Kamal Kumar Rebari

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