विवाह एक पवित्र संस्था है ! विवाह सूत्र में बंधकर, अपने दायित्वों को बेहतर अंजाम दिया जा सकता है ! गृहस्थ आश्रम भी जीवन का अहम हिस्सा है ! उसमें प्रवेश कर , उसमें रहते हुए भी परिवार और राष्ट्र , दोनों के प्रति अपना दायित्व पूरी निष्ठां के साथ निभाया जा सकता है ! अतः वैवाहिक जीवन को किसी भी प्रकार से कमतर आंकना या मखौल उड़ाना , उचित नहीं लगता ! यदि कुछ लोगों ने अविवाहित रहते हुए देश के प्रति अपना दायित्व निभाया है तो लाल बहादुर शास्त्री जैसे अनेकों भारत के लालों और लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगनाओं ने विवाहित रहकर अपना राष्ट्रधर्म, पूरी निष्ठां से निभाया है ! विवाहित जीवन में पत्नी अथवा पति एक दुसरे के लिए बहुत बड़ी ताकत और सम्बल साबित होते हैं ! ये बात तो वही जानता है जिसके पास ये दौलत है !
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आजकल वायरल हो रही इस तस्वीर द्वारा विवाह जैसी पवित्र सामाजिक रीती का मखौल उड़ाया गया है ! जो सर्वथा अनुचित है ! एक मानसिक विकार जैसा प्रतीत होता है !
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By - कमल कुमार रेबारी
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