Sunday 3 July 2016

फिल्म समीक्षा:मर्डर 2



बैनर : विशेष फिल्म्स प्रा.लि.
निर्माता : मुकेश भट्ट
निर्देशक : मोहित सूरी
संगीत : मिथुन, हर्षित सक्सेना, संगीत और सिद्धार्थ हल्दीपुर
कलाकार : इमरान हाशमी, जैकलीन फर्नांडिस, प्रशांत नारायणन, सुलग्ना पाणिग्रही, सुधांशु पांडे, याना गुप्ता (मेहमान कलाकार)
सेंसर सर्टिफिकेट : ए * 2 घंटे 10 मिनट * 14 रील
 
मर्डर 2 को विशेष फिल्म्स की ही पिछली फिल्मों को देख कर तैयार किया गया है। फिल्म में एक सीरियल किलर है जो जवान लड़कियों की हत्या करता है। इस खलनायक का पात्र ‘संघर्ष’, ‘सड़क’ और ‘दुश्मन’ जैसी फिल्मों के खलनायकों की याद दिलाता है।
सड़क के खलनायक की तरह वह किन्नर है, संघर्ष के खलनायक की तरह अंधविश्वासी है और ‘दुश्मन’ के विलेन की तरह वह लड़कियों को क्रूर तरीके से मौत के घाट उतारता है। यही नहीं बल्कि कुछ दृश्य भी महेश भट्ट की पिछली फिल्मों की याद दिलाते हैं।
खलनायक धीरज पांडे के पात्र को फिल्म में बखूबी रंग दिया गया है, लेकिन बाकी चीजें बेरंग रह गईं। कहानी, स्क्रीनप्ले और दूसरे किरदारों को गढ़ने में जो ढिलाई बरती गई है वो साफ नजर आती है। लिहाजा ‘मर्डर 2’ एक कमजोर फिल्म के रूप में सामने आती है।
अर्जुन भागवत (इमरान हाशमी) पुलिस की नौकरी छोड चुका है और पैसों की खातिर अपराधी किस्म के लोगों के लिए काम करता है। शहर की कई कॉलगर्ल गायब हो जाती हैं। क्यों? कैसे? कौन है इसके पीछे? इसका पता करने जिम्मेदारी सौंपी जाती है अर्जुन को।
अर्जुन मालूम करता है कि इन लड़कियों के गायब होने की कड़ी एक ही सेल फोन नंबर से जुड़ी है। वह रेशमा (सुलग्ना पाणिग्रही) को इस फोन नंबर वाले ग्राहक के पास पहुँचाता है। जब रेशमा की कोई खबर नहीं मिलती है तो वह ग्लानि से भर जाता है। इसके लिए वह अपने आपको दोषी मानता है।

बहुत जल्दी ही अर्जुन यह जान लेता है कि धीरज पांडे (प्रशांत नारायण) ही इस सबके पीछे है। कैसे अर्जुन उसके खिलाफ सबूत जुटाता है, यह फिल्म का सार है। इस मुख्य कहानी के साइड में अर्जुन और प्रिया (जैकलीन फर्नांडिस) की प्रेम कहानी का भी ट्रेक है, जिसका उद्देश्य सिर्फ उत्तेजक दृश्य दिखाना है।
फिल्म की कहानी में जो समय दिखाया गया है वो मात्र कुछ घंटों का है। इतने कम समय में इतनी घटनाओं का घटना मुमकिन नहीं लगता। स्क्रीनप्ले में भी कई कमजोरियाँ हैं, जिसमें सबसे अहम ये है कि दर्शक कहानी के साथ जुड़ नहीं पाता।
कई ट्रेक ठूँसे हुए लगते हैं, जैसे अर्जुन की ऊपर वाले से नाराजगी। अर्जुन और प्रिया की लव स्टोरी भी बेहद बोरिंग है, जिसमें प्रिया एकतरफा प्यार करती है और अर्जुन ‍उसकी जिम्मेदारी से भागता रहता है।
रेशमा को धीरज पांडे के पास भेजकर अर्जुन का पश्चाताप करना भी उसके किरदार के प्रति दर्शकों की सहानुभूति पैदा करने के लिए रखा गया है, जो बेहद सतही है। आरोपी धीरज के खिलाफ अर्जुन का सबूत जुटाना स्क्रिप्ट का सबसे मजबूत पहलू होना था क्योंकि सारा थ्रिल और कहानी की रीढ़ यही है, लेकिन यह हिस्सा भी अस्पष्ट और सतही है। किसी भी किस्म का रोमांच महसूस नहीं होता।
निर्देशक के रूप में मोहित सूरी खास प्रभावित नहीं करते। खासतौर पर शुरुआती 45 मिनट तो बेहद बोर है। मोहित परदे पर घट रहे घटनाक्रम की कड़ियों को सफाई से नहीं जोड़ पाए। न ही वे अर्जुन और प्रिया के रोमांस की गरमाहट को ठीक से फिल्मा पाए। धीरज पांडे की क्रूरता को उन्होंने बखूबी पेश किया है।

जैकलीन फर्नांडिस बेहद हॉट और सेक्सी नजर आईं, लेकिन संवाद बोलते ही उनके अभिनय की पोल खुल जाती है। इमरान हाशमी का अभिनय औसत दर्जे का रहा। उन पर भारी पड़े प्रशांत नारायण जिन्होंने धीरज पांडे ‍का किरदार‍ निभाया है। ठंडे दिमाग वाले खलनायक का पात्र उन्होंने अच्छी तरह पेश किया है। संवाद के बजाय अपने चेहरे के भावों के जरिये उन्होंने क्रूरता दिखाई। याना गुप्ता की सेक्स अपील भी एक गाने में नजर आती है। फिल्म का गीत-संगीत, फोटोग्राफी और संपादन प्रभावशाली हैं।
कुल मिलाकर ‘मर्डर 2’ का निर्माण ‘मर्डर’ ब्रांड को भुनाने के लिए किया गया है और ‘मर्डर’ की तुलना में यह फिल्म पीछे है।

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